टी-प्वाइंट भी फायदेमंद
यदि प्लॉट खरीद
भी
लिया
है
और
वह
वास्तु
सम्मत
नहीं
है,
तो
उसे
ठीक
करने
के
लिए
आसान
वास्तु
उपाय
हैं,
जिसके
माध्यम
से
आप
अपने
प्लॉट
के
दोष
को
दूर
कर
सकते
हैं।
अपने
लिए
प्लॉट
की
खरीदारी
करने
जा
रहे
हैं,
तो
इन
बातों
का
ध्यान
रखें
कि
अगर
आपको
खरीदारी
के
लिए
कोई
ऐसा
प्लॉट
मिल
रहा
है,
जिसमें
उत्तर-पूर्व
बढ़ा
हुआ
है,
तो
फिर
ऐसे
प्लॉट
को
खरीदने
में
देरी
ना
करें।
अगर
आप
इसे
इन्वेस्टमेंट के लिहाज से
खरीद
रहे
हैं
या
फिर
मकान
बनवाने
के
लिए
यह
शुभ
और
लाभ
प्रदान
करने
वाला
है।
लेकिन
इसका
भी
उचित
अनुपात
होता
है,
जिसे
किसी
वास्तु
जानकार
को
दिखाकर
ही
प्लॉट
खरीदें।
यदि
उत्तर,
उत्तर-पूर्व
या
पूर्व
का
टी
प्वांइट
वाला
प्लॉट
मिल
रहा
हो,
तो
उसे
अधिक
पैसे
देकर
भी
ले
लेना
चाहिए,
क्योंकि
यह
कई
तरह
से
फायदेमंद
होता
है।
मुंबई
के
प्रसिद्ध
महबूब
फिल्म
स्टूडियो
में
भी
पूर्व
का
टी
प्वांइट
है,
जो
कि
उसकी
प्रसिद्धि का एक मुख्य
कारण
है।
¼नार्थ- ईस्ट(
ईशान) - इस
कोने
में
टॉयलेट (Toilet) होना
सबसे
बड़ा
वास्तु
दोष
होता
है,
इसके
अलावा
रसोईघर
होना
भी
गलत
माना
गया
है. इस
दिशा
में
toilet होने
से
आमदनी
में
काफी
problems
आती
है
जबकि
kitchen होने
से
आमदनी
तो
ठीक
रहती
है
लेकिन
Health Related Issues या Harmony में कमीं आ
जाती
है

साउथ-वेस्ट
(नैऋत्य - इस कोने में बोरिंग या कुआँ होना वास्तु में बड़ा दोष समझा जाता है इसके अलावा इसी दिशा से घर का मुख्या द्वार होना वास्तु में पूरी तरह वर्जित है। इस दिशा में boring होने से
पुश्तैनी सम्पति समाप्त हो जाती है उसके बाद आपका जोड़ा हुआ धन खत्म हने लगता है किसी सदस्य को बुरी लत लग सकती है
ढलान (Slope) - घर में फर्श का व् पानी का ढलान दक्षिण या पश्चिम की ओर होना वास्तु में दोष माना जाता है घर में बुरा समय पीछा नही छोड़ता
ब्रह्मस्थान इस कोने में कमरा या कोई पिल्लर होना वास्तु में ब्रह्मदोष से जाना जाता है. इस कोने के खराब होने से घर में positive energy का
circulation रुक जाता है चाहे आपका ईशान व् नैऋत्य कोण कितना अच्छा हो कोई फायदा नही होगा
इन Defects को वास्तु में सबसे Major Defects के
रूप में जाना जाता जिनका उपाय करना बेहद जरूरी व् एक वास्तु शास्त्री के लिए सबसे मुश्किल होता है
कभी भी
तिजोरी के ऊपर कोई भी सामान नहीं रखना चाहिए। तिजोरी के एकदम ऊपरी वाले खाने हिस्से में पैसा नहीं रखना चाहिए। घर में स्टोर रूम और बाथरूम के पास पूजा कक्ष नहीं होना चाहिए। कुछ वृक्ष और पौधे दूध वाले होते हैं जैसे- आंकड़े का पौधा] बरगद। इस तरह के वृक्ष घर-आंगन में नहीं होना चाहिए। इनसे वास्तु दोष उत्पन्न होता है। ये हमारे स्वास्थ्य के हानिकारक भी होते हैं। घर में बंद या खराब घड़ी भी नहीं रखना चाहिए। इसके अशुभ प्रभाव से भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। घर के पूजन स्थल पर सुबह शाम घी का दीपक लगाने चाहिए। इससे भाग्य संबंधी लाभ मिलते हैं और इस दीपक का धुआं वातावरण की हानिकारक तरंगों और सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट करता है। नौकरी में सफलता पाने का उपाय पलंग के नीचे फालतू सामान या जूते चप्पल नहीं रखना चाहिए। इससे ऊर्जा का मार्ग अवरुद्ध होता है। तिजोरी में मुकदमे या वाद विवाद से संबंधित कागजात नहीं रखना चाहिए। इन कागजों को ईशान कोण में रखें ईशानमुखी प्लाट पर निर्माण कैसे करे घर के पूजन स्थल के ऊपर कोई सामान नहीं रखना चाहिए। पूजन कक्ष उत्तर दिशा में या पूर्व दिशा में शुभ रहता है। परिवार के मृत सदस्यों के चित्र पूजन कक्ष में नहीं रखना चाहिए। पूर्वजों के चित्र नैऋत्य कोण पश्चिम दक्षिण में या पश्चिम दिशा में रखे जा सकते हैं। घर में टूटा हुआ दर्पण मिरर नहीं रखना चाहिए। दो दर्पण एक-दूसरे के आमने सामने भी नहीं लगाना चाहिए। शयन कक्ष में रात के समय जूंठे बर्तन नहीं रखना चाहिए। जो लोग बेडरूम में जूंठे बर्तन रखते हैं उन्हें धन
और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। घर में बीम के नीचे बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए। बीम के नीचे सोना भी नहीं चाहिए।
कैसे और क्यों उपयोग करते है घोड़े की नाल
ज्योतिष के
अनुसार काले घोड़े के पैरों पर शनि का विशेष प्रभाव माना गया है। ज्योतिष के अनुसार घर के मुख्यद्वार पर काले घोड़े की नाल लगाने से घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती और बरकत बनी रहती है। आइये जानते है कहाँ और कैसे और कौन सी नाल लगानी चाहिए यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पश्चिम या पश्चिम में हो तो
उसके ऊपर बाहर की तरफ घोड़े की नाल जरूर लगा देना चाहिए। इसलिए ऐसी मान्यता है कि Black Horse Shoe घर के
Main-Gate पर लगाने से सुरक्षा एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ऐसा माना जाता है के शनि देव
मेहनत करने वाले से खुश रहते है इसी कारण जो घोड़ा काफी दौड़ता है तो उसके पाँव में लगी नाल भी घिसती है अब काला घोडा
( शनि) और उसकी घिसी हुई नाल natural positivity प्रदान करती है
पिता - पुत्र
में अनबन एवं वास्तु दोष
घरो में
पिता- पुत्र के बीच में अनबन बढ़ना परिवार के लिए अच्छा नही होता। आधुनिक समय
में लोग वास्तु के नियमों की अवहेलना करके घर का निर्माण करते हैं और घर की साज- सज्जा भी इस प्रकार करते हैं जिससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है और पिता - पुत्र में तनाव बड़ जाता है. आइये जानते है
क्या वास्तु दोष होता
है इसके पीछे वास्तुशास्त्र के नियमों के
अनुसार सूर्य पिता का कारक ग्रह होता है सूर्योदय की दिशा पूरब होती है जिस घर में
पूर्व दिशा दोषपूर्ण होती है उस घर में पिता और पुत्र के संबंध में दूरियां आती हैं।
ईशान कोण को घर के अन्य
भागों से ऊंचा नहीं रखना चाहिए साथ ही इस भाग में भारी सामान रखने से बचना चाहिए। उत्तर
पूर्वी भागों में इलेक्ट्रिक उपकरण रखने से पुत्र और पिता के स्वभाव में उग्रता आ जाती
है जिससे कलह की सम्भावना बड़ जाती है ईशान कोण में कूड़ादान रखते हों तो इससे पिता
और पुत्र के बीच वैमनस्य बढ़ता है और गंभीर विवाद हो सकता है।
जो प्लॉट उत्तर व दक्षिण में संकरा तथा पूर्व व पश्चिम
में लंबा हो तो ऐसे भवन को सूर्यभेदी कहते हैं। ऐसे भवन में पिता-पुत्र साथ रहें तो
एक दूसरे से अक्सर विवाद होते रहते हैं और रिश्तों में दूरियां बढ़ जाती हैं।
पूरब दिशा में बड़े-बड़े वृक्ष, ऊंची दीवार एवं कटी
हुई जमीन हो तो पूर्व दिशा दोषपूर्ण हो जाती है। पिता पुत्र के मधुर संबंध के लिए उत्तर
पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में शौचालय अथवा रसोई घर नहीं होना चाहिए। यह पिता एवं पुत्र
दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
स्तु के
अनुसार यदि आपके घर में Electricity Leakage बहुत ज्यादा
है तो इलेक्ट्रिक सामान के पास छोटा सा चकोर ताम्बे का टुकड़ा लगा दे।
यदि आपका
मैन गेट गलत
दिशा में है तो गेट पर ताम्बे के सिक्के लटका दे ये नकारात्मक ऊर्जा को रोकते है इसके अलावा copper strips का
उपयोग होता है यदि आपका दक्षिण दिशा उत्तर से हलकी है तो दक्षिण में कॉपर का ठोस पिरामिड रखने से लाभ मिलता है इसके अलावा पश्चिम दिशा वास्तु शास्त्र में धातु Element का प्रतिनिधित्व करती है. तो यदि आप ताम्बे का कोई शो पीस रखना चाहते है तो पश्चिम में कहे
घर के मंदिर में देवी-देवताओं की कितनी मूर्तियां होनी चाहिए
अक्सर हम
घर के मंदिर में बिना सोचे समझे देवी देवताओं की मूर्तियां इकट्ठी कर लेते है जो की एक गलत इफेक्ट देती है शास्त्रों में घर के मंदिर में देवी-देवताओं की संख्या के बारे में वर्णन मिलता है आइये जानते है कुछ प्रमुख भगवानो की कितनी मूर्तियां मंदिर में होनी चाहिए। गणेशजी (Ganeshji)- घर में मंदिर की बात आते ही सबसे पहले मन में गणेशजी
हो आते है. घर के मंदिर गणेश जी की 3 मुर्तिया होनी अशुभ फल देती है इसलिए इसमें एक
गणेशजी बढ़ाये ये घटाए। इसके अलावा गणेशजो की पीठ भी घर के बाहर की और जानी चाहिए, अगर
ऐसा नही हो सकता तो गणेश के पीछे वाली दीवार पर एक गणेशजी और लगा दे
शिवलिंग - shivling - हालाँकि शिवलिंग को घर में स्थापित करने मना किया जाता है लेकिन फिर भी यदि घर में शिवलिंग है तो एक ही होना चाहिए और वो भी अंगूठे के आकर का एक से ज्यादा शिवलिंग अत्यधिक ऊर्जा देता है जो की एक नार्मल वयक्ति के लिए झेलना बहुत मुश्किल है शिवलिंग बारे में
एक पोस्ट और भी लिखी हुई
देवी जी
- अक्सर लोग देवी पर हर महीने या लगातार जाते है और बहुत सारी मूर्तियां व् फोटोज जोड़ लेते है जो गलत है किसी भी देवी की तीन से ज्यादा मुर्तिया शास्त्रों के हिसाब से वर्जित है इसकी 3 की संख्या भी नही होनी चाहिए।
फायदे की जगह नुकसान भी कर सकता है मनीप्लांट
वास्तु शास्त्र
में पेड़ पौधों का बहुत महत्व है इसी में एक पौधा है मनी प्लांट जिसे लोग घर में समृद्धि लाने के लिए लगाते है लेकिन अगर यही पौधा गलत दिशा में रखा जाए तो नुकसान
भी कर सकता है आइये जानते कहाँ रखे मनी प्लांट को Where To Place Money
Plant As Per Vastu Shastra - कहाँ लगाएं मनी प्लांट वैदिक वास्तु के अनुसार मनीप्लांट का संबंध शुक्र
और कुछ हद तक बुध से होता है. इस प्रकार से इसे आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में लगाना
सबसे अच्छा होता है Money plant ko hamesha
aagnay kon me lagana chahiye.
वास्तु अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा के देवता गणेशजी हैं
जबकि प्रतिनिधि शुक्र हैं। (Lord of
Southeast Is Venus & Mercury). इस दिशा में ये पौधा लगाने से पॉजिटिव एनर्जी
मिलती है Money Plant को कभी भी ईशान यानी
उत्तर-पूर्व (Ishan Kon) में नहीं लगाना
चाहिए। Ishaan Kon Ka Malik Jupiter Hota Hai Or Shukra Ke Sath Uska Sambnadh
Acha Nhi Hota अगर आपको ईशान कोण में कोई पौधा लगाना है तुलसी का पौधा लगाया जा
सकता है
वास्तु में सैंधा
नमक का प्रयोग
भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की
शरीर के लिए हानिकारक होता है इसके अलावा एक और नमक का उपयोग किया जाता है सैंधा नमक
(Rock Salt) जिसका प्रचलन धीरे धीरे कम
होता जा रहा है वास्तु शास्त्र के अनुसार जो की अब वैज्ञानिक रूप से भी साबित हो चुका
है के सैंधा नमक वातावरण में ऑक्सीजन की मात्र बढ़ाता है इसके लिए Rock Salt Lamp का उपयोग किया जाता है जो की
बाजार में उपलब्ध होता है जिन स्थानो पर शुद्ध वायु नही आती उस स्थान पर इसे रखने से
उस स्थान की वायु शुद्ध हो जाती है
कैसे करे उपयोग पहला उपयोग यही हो सकता है के इसे आप
खाने में इस्तेमाल करने शुरू करें बाजार में
आजकल Rock Salt Lamp उपलब्ध हैं इनका इस्तेमाल
करना बेहद फायदेमंद रहता है तीसरा उपयोग में आप एक बड़ा सा नमक का पत्थर ल सकते है
(1 किलो) और इसे अपने कमरे में रख सकते है, लेकिन किसी इलेक्ट्रॉनिक सामान के पास न
रखे
भारी अलमारी या फर्निचर घर में दक्षिण या पश्चिम में
रखे । शयनकक्ष, रसोई गृह एवं भोजन कक्ष बीम रहित होना चाहिए। उत्तर या पूर्व दिशा की
ओर तिजोरी का पल्ला खुलना सबसे उत्तम है। किसी भी कक्ष या शयन कक्ष में दरवाजे के पीछे
कपडे आदि कुछ भी लटकाना नही चाहिए। मुकदमा–विवाद
या झगड़े के कागजात उत्तर, पूर्व या ईशान दिशामें रखने से फैसले जल्दी आते है । शयन
कक्ष में जूठे बर्तन रखने से कारोबार में कमी आती है और कर्ज बढता है। ईशान कोने में
कचरा जमा होता है, तो शत्रु वृद्धि होती है । वैसे तो कमरे में टीवी लगाना मना किया जाता है लेकिन
यदि है उसे पूर्व या दक्षिण-पूर्व में ही रखें।
साउथ-वेस्ट में
मुख्य दरवाज़ा - बड़ा वास्तु दोष
साउथ-वेस्ट (नैऋत्य कोण) वास्तु शास्त्र की सबसे महत्वपूर्ण
दिशा होती है इस दिशा के कारक ग्रह राहु देव
होते है. इस दिशा में घर के मैन गेट का होना एक बड़ा वास्तु दोष माना जाता है जो आपको
हर तरह की परेशानी देने की क्षमता रखता है. आइये जानते है क्या परेशानियां आती है और
क्या हो सकता है इस वास्तु दोष का उपाय।

जैसा की मैंने आपको बताया के इस दिशा
के कारक ग्रह राहु देव होते है राहु देव का सम्बन्ध स्थायित्व से होता है, कोई भी अचानक
आने वाली परेशानी या धन लाभ भी राहु से देखा जाता है ज्योतिष शास्त्र में राहु को गति
का कारक माना जाता है. हालाँकि यही दिशा कुछ लोगो को अनगिनत पैसा व् समृद्धि देती है
लेकिन इसके बारे में बाद में चर्चा करेंगे। यदि इस दिशा में आपका मुख्या द्वार आ जाये
तो ये चिंता की बात होती है बसे बड़ी जो परेशानी आती है वो ये के जिंदगी में
स्थायित्व (Stability) नही रहती आदमी इधर
उधर ही भागता रहता है काफी लोगो से सुनने को मिलता है के इस तरह के घर में प्रवेश करते
ही काम-धंधा बिलकुल रुक गया है. मानसिक शांति नही रहती। क़र्ज़ का बोझ ज्यादा परेशान करता है,
ऐसे घरवालो को हम लोन न लेने की सलाह
देते है क्यूंकी ऐसे दोष वाले घरो से ऋण एक बार आने पर समाप्त नही होता। अचानक दुर्घटना
की दिशा यही बनती है. नैऋत्य कोण में मैन गेट का एक और रहस्य ये है यहाँ पर मुख्य दरवाज़ा
होना से या इस दिशा में कोई भी वास्तु दोषा होने से हमारे शरीर का मूलाधार चक्र (Root Chakra) खराब या बिगड़ जाता है ये चक्र
हमारे शरीर का सबसे पहला चक्र होता है जो की पृथ्वी तत्व को दर्शाता है जब वयक्ति का
पृथ्वी तत्व बिगड़ता है तो जिंदगी में स्थायित्व आना मुश्किल हो जाता है साथ घर में
बचत व् बरकत होना मुश्किल होता है. जिस वयक्ति का पृथ्वी तत्व बिगड़ जाये उसके बाकि
चक्र भी बिगड़ना निश्चित है

इसी लिए वास्तु
शास्त्र में नैऋत्य कोण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कोण बनता है यदि ये कोण खराब है चाहे
आप ईशान कोण की मदद से लाखों रूपया कमा सकते है लेकिन एक भी रूपया बचा नही सकते व्
और ना ही अपनी लाइफ से संतुष्ट हो सकते हो वही यदि आपका ईशान कोण खराब है और नैऋत्य
कोण अच्छा है तो चाहे आपकी आमदनी मामूली हो लेकिन उसमे भी आपको बचत होगी व् मन में
संतुष्टि भाव रहेगा। अब बात आती है उपायों की, के यदि इस दिशा में मैन गेट बन ही गया है और
कोई रास्ता नही नज़र आता जानते है
इस दोष को कम करने के वास्तु उपाय vastu remedies of south-west entrance
As profession yaha par aap yellow color ki patti dehleez par
laga sakte hai, is se negative effect low ho jaate hai. Yadi alternate entrance
hai to uska upayog karna chahiye इस दिशा में भारी दरवाज़ा ही उपयोग करे कोशिश करे की
दरवाज़ा लोहे का हो पीले रंग का यहाँ जरूर उपयोग करना दरवाज़े का रंग स्किन, भूरा हो
दरवाज़े के बाहर एक कोन्वेक्स (Convex) शीशे
का उपयोग करे यदि आपका घर है तो मुख्य दहलीज़ के नीचे कॉपर की तार लगाये। दरवाज़े के
अंदर की और कॉपर के कई प्रयोग होते है जैसे कॉपर के सिक्के लगाना या पिरामिड लगाना,
उपयोग कर सकते है यदि हो सके तो उत्तर दिशा में एक दरवाज़ा बना लें इससे भी दोष कम होगा घर में अंदर की और Camphor Lamp का भी उपयोग कर सकते है इस दिशा में किसी भी फव्वारे या पानी
की वस्तु या शोपीस का इस्तेमाल न करे
वास्तु दोष निवारण
के कुछ सरल उपाय—
कभी-कभी दोषों का निवारण वास्तुशास्त्रीय
ढंग से करना कठिन हो जाता है। ऐसे में दिनचर्या के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते
हुए निम्नोक्त सरल उपाय कर इनका निवारण किया जा सकता है। * पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान
कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन
पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए। * पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व
(ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान
के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए। * घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके
नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए, अन्यथा घर में बरकत
और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी। * पूजाघर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी
चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है। तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ
पूजन भी वर्जित है। धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें। * घर में दरवाजे
अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं।
दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में
कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर
तेल डालें। * खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे। * घर के मुख्य द्वार
पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं। * महत्वपूर्ण कागजात हमेशा
आलमारी में रखें। मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें,
सारा धन मुदमेबाजी में खर्च हो जाएगा। * घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे
पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी। * सामान्य स्थिति में संध्या के समय
नहीं सोना चाहिए। रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए।
* घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए।
* घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए। * उत्तर-पूर्वी
कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा। * अचल
संपत्ति की सुरक्षा तथा परिवार की समृद्धि के लिए शौचालय, स्नानागार आदि दक्षिण-पश्चिम
के कोने में बनाएं। * भोजन बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव अर्पित करें या गाय खिलाएं,
धनागम के स्रोत बढ़ेंगे। * पूजा-स्थान (ईशान कोण) में रोज सुबह श्री सूक्त, पुरुष सूक्त
एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें, घर में शांति बनी रहेगी। * भवन के चारों ओर जल या गंगा
जल छिड़कें। * घर के अहाते में कंटीले या जहरीले पेड़ जैसे बबूल, खेजड़ी आदि नहीं होने
चाहिए, अन्यथा असुरक्षा का भय बना रहेगा। * कहीं जाने हेतु घर से रात्रि या दिन के
ठीक १२ बजे न निकलें। * किसी महत्वपूर्ण काम हेतु दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर
से निकलें। * घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें। * घर में मकड़ी
का जाल नहीं लगने दें, अन्यथा धन की हानि होगी। * शयनकक्ष में कभी जूठे बर्तन नहीं
रखें, अन्यथा परिवार में क्लेश और धन की हानि हो सकती है। * भोजन यथासंभव आग्नेय कोण
में पूर्व की ओर मुंह करके बनाना तथा पूर्व की ओर ही मुंह करके करना चाहिए।दक्षिण मुखी
प्लाट को ज्योतिष व् वास्तु शास्त्र अशुभ माना
जाता है, जबकि असलियत में ऐसा कुछ नहीं है ये केवल भ्रांति है
कुछ लोग दक्षिणमुखी प्लाट लेने
डरते है यहाँ तक की बिल्डर्स भी दक्षिण मुखी प्लॉट्स के कम दाम लगाते है हम आपको बता
दे की दक्षिण मुखी मकान कोई तरह का दोष या अशुभ नही होता। south facing plot vastu
myth

South Facing Plot
यदि आप दक्षिण मुखी प्लाट का निर्माण करवा रहे है तो
मैं गेट भूलकर भी दक्षिण-पश्चिम कोने में ना बनवाये,
किसी भी कारण से बोरिंग और सीवेज दक्षिण-पश्चिम में
ना करवाए, दक्षिण-पूर्व ले
कुछ मकान आगे से खुले व् पीछे से बने होते है, दक्षिण
मुखी प्लाट में ऐसा निर्माण न करे .
दक्षिणमुखी प्लाट का निर्माण हमेशा सड़क से ऊपर ही करें
ऐसे प्लाट में फ्लोर का ढलान एक सामान होने चाहिए अगर
फ्लोर का ढलान दक्षिण की तरफ है तो परेशानी निश्चित ही इस घर में रहेंगी
दक्षिण की दीवार पर खिड़कियों का निर्माण काम करें
पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभाव - effects of
main entrances from west direction
वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा के कुल 8 तरह के प्रवेश
द्वार बताए गए है आज चर्चा करते है पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभावों की
West Facing
Main Entrance Effects in Hindi
पश्चिम दिशा 225 से 315 degree मानी जाती है इसे
225 डिग्री से शुरू करते है तो 315 तक 8 parts में बाँट दे लगभग 11.25 डिग्री की एक
पार्ट बनेगा
w1 - पितृ - बेहद नुकसान दायक, धन और संबंध बहुत खराब
होंगे।
w2- दौवारीक-अस्थिरता देता है. टिकाव नहीं रहेगा
w3- सुग्रीव - ये entrance विकास देती है आगे बढ़ते ही
रहेंगे
w4- पुष्पदन्त (pushpdant vastu) - एक संतुष्ट जिंदगी
देता है ख़ुशी मिलती है
w5- वरुण (varun) - व्यक्ति बहुत ज्यादा पाने की चाहत
रखने लगता है जिससे नुकसान संभव है w6- असुर (asur) - ये नुकसान देती है एक मानसिक
परेशानी चलती रहती है
w7- शोष - shosh in vastu - गलत आदत पड़ जाती है. व्यक्ति
बुरी लत में उलझा रहता है
w8- पापयक्षमा - इसमें व्यक्ति मतलबी हो जाता है अपना
ही फायदा देखने वाला।
पूर्व दिशा के द्वारों का प्रभाव - effects of east
facing entrances in vastu
![]() |
वास्तु शास्त्र में कुल 32 प्रवेश द्वार बताए गए है
जिसमे हर दिशा के 8 द्वार होते है आज चर्चा करते है पूर्व दिशा के 8 द्वारों की
पूर्व दिशा वास्तु नियमों के हिसाब से 45 degree से
देखि जाती है, और 135 डिग्री के कोण तक रहती है इस 45 से 135 डिग्री तक यदि आप 8 भागों
में बांटोगे तो आपको सही से अंदाज़ा हो जायेगा। vastu purush mandala के हिसाब से शिखी
से पूर्व दिशा शुरू होती है
अब बात करते है इन 8 तरह के द्वारों का प्रभाव कैसा
होता है
Effects of Entrances of East Facing Properties
शिखि
(shikhi) - अग्नि संबंधित दुर्घटनाएं इन घरों
में देखि जाती है.
प्रजन्य
(prajnya) - खर्चे बहुत ज्यादा होते है, इसके अलावा लड़कियों की संख्या अधिक हो सकती
है
जयंत
(jayant)- कमाई अच्छी होती है. ये द्वार शुभ होता है
इंद्र
(indra)- ऐसे लोग GOVERNMENT के अच्छे सम्पर्क में रहते है शुभ द्वार
सूर्य
(surya)- ऐसे लोगो में attitude problem होती है, जिसके कारण बार बार नुकसान हो सकता
है
सत्य
(satya)- ऐसे लोग भरोसेमंद नहीं माने जाते, अपनी बात पर भी नहीं टिकते।
भृश(bhrish)-
स्वभाव थोड़ा कटु होता है, परेशान ही रहते है हर वक़्त
अंतरिक्ष
(antriksh)- नुकसान, एक्सीडेंट्स. चोरी ऐसे घरों में चलती रहती है
East Facing घरों में द्वार की सही दिशा
जानने के बाद घर की दशा भी बताई जा सकती है, इन Entrances के Negative Effects
को सही Remedies से काफी हद कम किया जा
सकता है
घर में ब्रह्म स्थान का महत्व - brahmsthan
significance in vastu shastra
किसी भी घर में ब्रह्म स्थान बड़ा महत्व रखता है। ये
घर का बिलकुल बीच वाला स्थान होता है इसी स्थान से ऊर्जा पुरे घर में प्रवाहित होती
है वास्तु शास्त्र में इसे सूर्य का स्थान माना जाता है. आइये जानते है क्यों जरूरी
है ब्रह्मस्थान
Why
Brahmsthan is Important - क्यों जरूरी है ब्रह्मस्थान
घर में Brahmsthan
एक तरह से हमारे पेट की तरह होता है खाना हम खाते तो मुँह से है लेकिन Distribution का काम पेट का है इसी तरह से
ऊर्जा उत्पन्न North-East यानि के ईशान
से होती है लेकिन Circulation ब्रह्मस्थान
से ही होता है
भवन में Open
Area अथवा आंगन का होना शुभ माना जाता है क्योंकि जिससे हमें सूर्य का प्रकाश एंव
हवा अधिक से अधिक मात्रा में मिल जाती है। आंगन का प्रयोजना घर को हवादार एंव प्रकाश
युक्त बनाना होता है।
HEALTH
PROBLEMS
घर में ब्रहम स्थान अथवा आंगन न होने से प्रचुर मात्रा
में हवा व प्रकाश नहीं मिल पाता है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी
हो जाती है, और हमारे शरीर की हडिड्यां कमजोर हो जाती हैं। इस कारण आपको हड्डी रोग
से संबंधित बीमारियां घेर लेती है। खासकर वह महिलायें जो घरेलू कार्यो में ही अपना
पूरा समय व्यतीत करती है, उन्हे इस प्रकार के Disease होने की ज्यादा आशंका रहती है चूंकि उन्हे भरपूर
मात्रा में सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पाता है। इसलिए भवन में आंगन होना अतिआवश्यक है
घर के अंदर ब्रह्म स्थान को खाली रखना चाहिए इस स्थान पर Heavy Things रखने से या किसी
बीम या पिल्लर का निर्माण करने से आपको बड़े Vastu
Dosh का सामना करना पड़ सकता है ऐसा माना
जाता है के ब्रह्मस्थान में Dosh होने पर
घर वंश वृद्धि रूक सकती है
महाभारत में वास्तु दोष - Vastu Dosha In Mahabharat
महाभारत (Mahabharat)
में भी कथा प्रचलित है जब इंद्रप्रस्थ का निर्माण हो रहा था तब Bhagwan Shri Krishna को पता था के ये आज नही
तो कल कौरवों के पास ही जाएगा इसी कारण उन्होंने एक कुँए का निर्माण बिलकुल बीचोंबीच
करवा डाला। जिस कारण पहले पांडवों को वनवास झेलना पड़ा उसके बाद कौरवों के वंश का सर्वनाश
हो गया
Brahmsthani
in Apartments
आजकल Flats
& Apartments के जमाने में घर का Brahmsthan
खुला होना मुश्किल है ऐसे में कोशिश करें की कम से कम यहाँ पर कोई Construction जैसे बीम या कोई Pillar न हो
लाल किताब के अनुसार भवन निर्माण के कुछ उपाय - Lal Kitab Tips for Construcion
लाल किताब में ग्रहों की स्थिति के अनुसार भवन निर्माण
के कुछ उपाय बताये गए है जो काफी लाभदायक सिद्ध होते है ये उपाय कुंडली में बैठे ग्रहो
की विशेष स्थिति के अनुसार बताये गए है जानते है क्या है वह उपाय
Lal Kitab
Tips for House Construction in Hindi
मकान
के मालिक का यदि पांचवे भाव में केतु हो तो मकान लेने से पहले केतु का दान जरूर दें
मकान
बनवाते समय जमीन में से चींटी निकले तो उन चींटियों को आटा व् शक्कर मिलकर खिलाएं
यदि
शनि ख़राब बैठा हो तो गृह निर्माण से पहले गोदान करे
शनि
चौथे घर में हो तो जातक को अपनी पैतृक भूमि पर मककन नही बनाना चाहिए यदि ऐसा होता है
तो परिवार के सभी सदस्यों जिंदगी भर कष्ट उठाने पड़ते है किसी झूठे मुक़दमे में फंसकर
सजा तक हो सकती है
एक
बार मकान बनना चालू हो जाये तो उसे बीच में नही रोकना चाहिए नही तो उसमे राहु का वास
होगा।
भवन
निर्माण शुरू करने पहले निर्माण करने वाले मजदूरो को मिठाई खिलाये।
कुंडली
में ग्यारहवें में शनि हो तो मुख्या द्वार पर चौखट बनाने से पहले उसके नीचे चन्दन दबा
दे
शनि
यदि छठे भाव में हो तो घर बनवाने से पहले जमीन पर हवनादि करे और जगह को शुद्ध करें
जिससे केतु का प्रभाव काम हो जाये।
चिंता देता है खराब भृश वास्तु जोन
दक्षिण-पूर्व (South East) के पूर्व की तरफ भृश वास्तु
जोन बड़ा महत्वपूर्ण कोण माना जाता है इस Vastu Zone से हमें दो वस्तुओं से मिलकर या
आपस में घर्षण से एक वस्तु प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है Bhrish Vastu में
एक तरह से यदि हम कोई काम सोच समझकर कर रहे है लेकिन फिर भी देरी हो रही है या असफल होते है तो ये जोन खराब या कमजोर
माना जायेगा काम शुरू करते है लेकिन अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे तो भी ये वास्तु जोन
में खराबी है Idea तो आपको Northeast से मिल गया लेकिन Practical के लिए जोन ठीक चाहिए। भृश एक तरह से मंथन की शक्ति है जैसे हमने
मिक्सी में दही से माखन निकाला। इस वास्तु जोन में कुछ Vastu Experts आपको मिक्सर रखने
कि सलाह देते है लेकिन वो तभी Possible है जब इधर किचन हो ऐसे में ऐसी ही तस्वीर को वहां लगा सकते है मंथन के काम या Analysis के काम इस जोन
में करने चाहिए. यहाँ से घर की Entry नहीं होनी चाहिए ये जोन खराब होने से बिना बात चिंता रहती है मन हमेशा व्याकुल रहेगा इसके लिए
इस जोन का बैलेंस होना जरूरी है
वैदिक वास्तु
- ईशान कोण की शक्तियां
वैदिक वास्तु के वास्तु पुरुष मंडल में 45 देवता का
वास बताया गया है ऐसा माना जाता है के हमारे जीवन की सभी समस्याऍ इन्ही 45 देवता के
अंतर्गत आती है ये 45 देवता एक तरह से 45 ऊर्जा क्षेत्र है जो हमारे जीवन को प्रभावित
करते है. आज इस series को start करते है और ईशान कोण के देवता आपको बताते है

आज सबसे पहले बात करते है ईशान कोण में बनने वाली चार
ऊर्जा जगहों की इन्ही ऊर्जा क्षेत्रों से आप अपने जीवन की समस्याओं को पहचान सकते है
अदिति (Aditi Zone Vastu) - इसमें सबसे पहले जिस ऊर्जा
क्षेत्र का निर्माण होता है वह अदिति के नाम से जाना जाता है ये ऊर्जा क्षेत्र हमें
बांधे रखती है, एक हौसला मिलता रहता है संयम प्रदान करने वाला ये पीले रंग का जोन जब
असंतुलित होता है तो मन में एक अजीब सा डर रहता है अगर व्यक्ति में अंदर बिना बात के
घबराहट बनी रहती है तो यही जोन खराब होता है
इस जोन में अगर मंदिर होता है तो व्यक्ति को परेशानी के समय में एक शक्ति मिलती रहती
है जो परेशानी से लड़ने में मदद देती है
दिति (Diti Vastu Zone)- अदिति के बाद उत्तर-पूर्व में
उत्तर की तरफ ही एक दूसरे ऊर्जा का निर्माण होता है जिसे दिति के नाम से जाना जाता
है ये शक्ति हमे सोच देती है एक विशाल और व्यापक सोच और उसकी तरफ पहुंचने का रास्ता
क्या होना चाहिए। ये जोन खराब होने पर लोग निर्णय ही नहीं ले पाते उन्हें पता ही नहीं
के उन्हें क्या करना है बस अपनी पुराणी परम्परा को घसीटते है. खुद की कोई निर्णय क्षमता
नहीं होती
शिखी- Shikhi Vastu Zone- उत्तर पूर्व दिशा में पूर्व
की तरफ के पहले जोन को शिखि कहा गया है शिखि एक सोच है एक Idea, एक ऐसा Idea जो सबको
प्रभावित करे जब हमें किसी आईडिया की जरूरत हो जो की बहुत बड़ा हो तो इस जोन का Balance
होना जरूरी है किसी भी काम की शुरुआत एक तरह से शिखि से ही होती है एक ऐसा Idea जो
बहुत बड़ा होता है या बड़ा बन जाता है शिखि की शक्ति के कारण ही होता है
पर्जन्य- Prajanya Vastu Zone- शिखि के बराबर में पूर्व
की तरफ पर्जन्य वास्तु की जगह बतायें गयी है एक तरह से ये चारों जोन - अदिति, दिति,
शिखि पर्जन्य एक दूसरे से जुड़े है पर्जन्य जोन में एक तरह से हमारी जिज्ञासा शांत होती
है वेदो के अनुसार ये घर में संतान उत्पत्ति का करक भी होता है, इस जोन को वृद्धि का
जोन भी कहा गया है
शायद यही कारण मिलता है के क्यों इस Zone को सबसे खाली
और साफ़ सुथरा रखने के लिए कहा जाता है क्यूंकि एक शुरुआत करने के लिए Base हमें यही
से मिलता है
ऊपरी टैंक व् भूमिगत टंकी के लिए वास्तु टिप्स
आज बात करते है वास्तु के अनुसार पानी की टंकी कहाँ
बनानी चाहिए। पानी की टैंक दो तरह की हो सकती है एक तो भूमिगत (Underground Water Tank)
और और ऊपरी टंकी (Overhead Tank) अंडरग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण इस बात को ध्यान
में रखते हुए करना चाहिए के गलत स्थान पर खुदाई करना परेशानियों को बुलाने जैसा होता
है यही बात ऊपरी टैंक पर भी लागु होती है क्यूंकि ये छत के उस हिस्से की ऊंचाई में
वृद्धि करती है आइये जाते है कैसे रखे पानी के टैंक पहले बात करते है उपरी टैंक की
जिसे ओवरहेड टैंक कहते है इसे जब भी हम छत पर रखते है या घर के किसी हिस्से में निर्माण
करते है तो ये उस हिस्से की ऊंचाई व् भार बढ़ा
देता है जो की सही दिशा में हो तो बचत और स्थायित्व में वृद्धि करता है और गलत
दिशा में हो तो कामों में रुकावट उत्पन्न करता है
टैंक के लिए सही दिशा (Directions for Overhead
Water Tank)
अब बात आती है के ओवरहेड वाटर टैंक की सही दिशा क्या
होनी चाहिए। ओवरहेड टैंक की सही दिशा दक्षिण व् पश्चिम होती है कुछ वास्तु शास्त्री
दक्षिण-पश्चिम कोने क सही दिशा बताते है लेकिन यदि आपका मास्टर बेडरूम इस कोण में है
तो यहाँ पर टैंक नही रख सकते।
पानी की टैंक रखते हुए ये ध्यान हमेशा रखना चाहिए के
इसके ठीक नीचे किसी वयक्ति का बेड तो नही आ रहा यदि है दोनों में से किसी एक को थोड़ा
खिसका दे अब बात आती है के टैंक गलत दिशा में बन भी गया है और उसे शिफ्ट भी नही किया
जा सकता। ऐसे में यदि वाटर टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में है तो उस पर सफ़ेद रंग करवा
दीजिये।
भूमिगत टैंक के लिए सही दिशा (directions for
underground water tank)
भूमिगत टैंक के लिए सही दिशा है उत्तर, उत्तर-पूर्व,
पूर्व। इसके अलावा अंडर ग्राउंड पानी की टैंक नही बनवानी चाहिए। इन दिशाओ में इस तरह
का निर्माण काफी ज्यादा फायदा देता है दक्षिण-पश्चिम में भूमिगत पानी की टैंक या बोरवेल
सम्पति नष्ट करने वाली सिद्ध होती है
अब यदि आपकी बोरवेल गलता दिशा में है तो क्या करें।
Yadi Boring Galat Disha Mai Hai To
Ye Upay Kare
यदि एक और पानी का टैंक ईशान में बनाया जाये।
इसके अलावा पिरामिड व् रंगों का सहारा लेकर इसके दोषों
कम लिया जा सकता है
वास्तु के अनुसार कोई प्रॉपर्टी या प्लॉट लेने से पहले
जरूरी बाते
आज बात करते है के यदि आप कोई प्लाट या प्रॉपर्टी लेने
का मन बना रहे है तो किस तरह का प्लाट अच्छा रहता है वास्तु शास्त्र में कोई प्लाट
लेने से पहले कुछ छोटे छोटे Points पर विचार करना अच्छा रहता है क्यूंकि यदि आपका प्लाट
वास्तु शास्त्र के नियमों से परे है तो एक अच्छी वास्तु अनुसार कंस्ट्रक्शन भी बहुत
अच्छा प्रभाव नही देगी। और एक अच्छे प्लाट पर एक वास्तु दोष पूर्ण रूप से Bad
Effects नही देगा आइये जानते है कोई Plot or Property लेने से पहले देखने वाली मुख्य
बाते
PLOT VASTU
TIPS - AUSPICIOUS OR INAUSPICIOUS PLOTS
साजिश वास्तु टिप्स - शुभ या अशुभ भूखंडों
मुख (face of property) - दिशा के हिसाब से प्रॉपर्टी
कोई भी दिशा की तरफ face वाली हो सकती है लेकिन प्रॉपर्टी के सामने क्या है ये ध्यान
देना चाहिए।
Shape of
Plot –
शेप - Shape - प्रॉपर्टी की शेप देखनी जरूरी होती है
generally आयताकार और वर्गाकार प्रॉपर्टी अच्छी रहती है पांच कोण या छ कोण या इसके
अलावा कोई भाग कटा या बड़ा हो ऐसी प्रॉपर्टी देख कर ही लेनी अच्छी रहती है
Size of Plot
साइज- Size- साइज बहुत Matter करता है जैसे प्रॉपर्टी
का मुह छोटा हो और चौड़ाई बड़ी हो या Vice Versa
Slope of Plot
स्लोप- Slope- ढलान देखना बहुत जरूरी
है ढलान कभी भी पश्चिम या दक्षिण की तरफ नही होना चाहिए।
Soil of
Plot
SOIL - हालाँकि
किसी प्रॉपर्टी की मिटटी कैसी है इसकी जांच करना आज के टाइम में नामुमकिन सा ही लगता
है, लेकिन अगर पॉसिबल है तो ये बहुत जरूरी जांच होती है
Bigger Directions
भेदी - यदि
प्रॉपर्टी में पूर्व व् पश्चिम दिशा ज्यादा है उत्तर व् दक्षिण मुकाबले तो ये प्लाट
सूर्यभेदी (suryabhedi) माना जाएगा और यदि उत्तर व् दक्षिण दिशा बड़ी है तो चन्द्रभेदी
(chandrabhedi) प्लाट माना जाएगा। चन्द्रभेदी प्लाट अच्छे फल देता है
Inclined or
Declined
झुका या अस्वीकृत
Inclination - इसके बाद आपको Use करना है अपना
Compass, बिलकुल बीच में खड़े होकर देखें के 0 डिग्री Point कहाँ जा रहा है यदि ये उत्तरी
दीवार के Mid Point से आगे की तरफ जा रहा है तो इसे Inclined प्लाट बोलते है और यदि
पीछे की तरफ है तो Declined प्लाट बोलते है Inclined अच्छा रहता है
Diagonal
and Double Diagonal Plot Vastu
विकर्ण और डबल
विकर्ण प्लॉट वास्तु
इसके अलावा यदि आपका 0 डिग्री किसी कोने में आ रहा है
तो इसे diagonal plot बोला जाता है ये एक वास्तु विद के लिए भी आसान प्लाट नही होता
है साथ ही कभी कभी एक ही दीवार पर दो दिशा भी आती है जिसे double diagonal plot बोलते
है ये दोनों प्लाट अति शुभ या अति दुःख प्रभाव देते है निचे दिए चित्र से समझे इन जांच
के बाद किसी प्रॉपर्टी के बनावट का वास्तु देखा जाता है जिसमे entrance, बैडरूम,
toilet आदि की स्थिति देखि जाती है.
वास्तु अनुसार
कहाँ होना चाहिए आपका टॉयलेट –
WHICH DIRECTION
FOR TOILET IN VASTU
toilet
वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है अगर ये गलत स्थान पर बना है तो ये
उस zone के हिसाब से परेशानियां देता है जैसे यदि दक्षिण-पश्चिम में जाए तो
relations को खराब कर देता है आज चर्चा करते है वास्तु शास्त्र में टॉयलेट किस दिशा
में होना चाहिए
वास्तु
शास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ "Vishwakarma Prakash" में इसका उल्लेख मिलता है
है "या नैऋत्य मध्य पुरीष त्याग मन्दरम्", इसका मतलब है हमारा toilet दक्षिण
व् नैऋत्य कोण (south - southwest) में मध्य होना चाहिए इसका कारण ये है के ये जोन
जाने के लिए ही होता है (Zone of Expenditure and Disposal) कुछ लोग इसे दक्षिण-पश्चिम
भी बोलते है लेकिन इसे समझने की बात है ये हिस्सा दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशा के
बीच का होता है बिलकुल दक्षिण-पश्चिम में Toilet नुकसान देता है इसके अलावा वास्तु
शास्त्र में दो और दिशा Negative Zone मानी गयी है पश्चिम वायव्य (West-Northwest)
और पूर्व आग्नेय (East-Northeast) वायव्य कोण की पश्चिम दिशा चिंता की दिशा मानी जाती
है, और आग्नेय कोण की पूर्व दिशा आलस की मानी जाती है इन दिशाओं में भी आप टॉयलेट का
निर्माण करा सकते है
घर के लिए
फेंग शुई टिप्स
सूर्य की रोशनी: फेंग शुई और वास्तु के अनुसार घर में सूर्य की प्राकृतिक रोशनी जरूरी है। सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत होता है पश्चिम मुखी भवन पश्चिम-उत्तर कोण में व दक्षिण मुखी भवन में द्वार दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए। बंद घड़िया:घर में जो घडिय़ां बंद पड़ी हों, उन्हें या तो घर से हटा देना चाहिए या फिर चालू कर देना चाहिए।ऐसी बंद घड़ियां बंद तकदीर को बुलाने के लिए जानी जाती हैं। झाडू: घर में झाडू का उपयोग करने के बाद उसे इस तरह रख देना चाहिए कि किसी की इसपर नजर ना लगे। झाड़ू को उत्तर-पश्चिम हिस्से में रखना चाहिए मध्य स्थान रखें खाली :भवन का मध्य भाग हमेशा खाली रखना चाहिए। इसमें क़ोई निर्माण कार्य नहीं करना चाहिए। ये हिस्सा ब्रह्म स्थान से जाना जाता है शीशा: घर के मुख्य द्वार पर शीशा नहीं लगाना चाहिए। बाथरुम के दरवाजे के ठीक सामने भी कोई शीशा नहीं होना चाहिए।
मुरझाए
और कांटेदार पौधे: मुरझाए हुए या कांटेदार पौधों को तुरंत हटा देना चाहिए। इससे नकारात्मक
ऊर्जा फैलती है। द्वार: घर का मुख्य द्वार अन्य द्वारों की तुलना में अधिक बड़ा होना
चाहिए। मुख्य दरवाजा दो पल्लों का रखना चाहिए। खिड़कियां: मुख्य द्वार के दोनों ओर खिड़कियां
नहीं होने चाहिए, इससे घर के मालिक को आर्थिक परेशानियां होती है।यदि है तो दक्षिण
और पश्चिम हिस्से वाली खिड़कियों को बंद रखना चाहिए
अश्लेषा
नक्षत्र (ashlesha ankshtra) में बरगद के पेड़ का पत्ता ले आये और घर में जहां भी अन्न
को रखते है या अन्न भंडार में रख दीजिये आपको अन्न की समस्या नहीं आएगी
बरगद
के पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बना कर अपने मंदिर में रखने से पैसे की तकलीफ नहीं
रहती बरगद का बाँदा बाजार में भी मिलता है
इसे अपनी हाथ पर बांधना अच्छा रहता है कोई व्यत्कि यदि आपको नुकसान पहचानका चाहता है
तो ये उपाय करें
अपनी जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद। आपने बहुत अच्छे लेख लिखे हैं। और पढो :- Architectural Faults
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